ऐ सनम तुम मुझे बतलाओ
तुम्हारे इन रेशमी बालों को
अपने इन हाथों से सहलाऊं
या घर जाकर इन्हीं हाथों से
बूढ़ी मां कै पैर दबाऊं
ऐ सनम तुम मुझे बतलाओ
कल चांदनी रात में लिखी थी जो
तुम पर वो कविता सुनाऊं
या गरीबों की बस्ती में जाकर
उन्हें कविता जैसी चीजों को
बेअटक पढ़ना सिखाऊं
ऐ सनम तुम मुझे बतलाओ
चांद तोड़कर लाने जैसी
निरर्थक बातों से
निरर्थक बातों से
कहो तो बार-बार तुम्हें बहलाऊं
या राष्ट्र विकसित कैसे बने
इस प्रश्न पर समय खपाऊं
ऐ सनम तुम मुझे बतलाओ
डर लगता है तुम्हारा प्रेम मुझे
परिवार, समाज, राष्ट्र से विमुख न कर दे
इनके प्रति जो कर्तव्य है मेरा
उसमें तुम बाधा न बन जाओ
ऐ सनम मुझे बतलाओ
ऐ सनम तुम मुझे बतलाओ
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