मंगलवार, 22 सितंबर 2009

सर्दी की कविता

नमस्कार दोस्तों !आज मैं आपके लिए एक कविता लेकर आया हूँ |क्योंकि सर्दियां शुरू होनेवाली हैं|यह कविता भी उसी पर है|


उनी कपड़े तरह तरह के
गद्दे और रजाई
दादीजी ने छत पर जाकर
उनको धूप लगाई

स्वेटर पैंट कोट कितने ही
कम्बल खेस पुराने
शालें मुफ्फ्लेर टोपी टोपा
चादर मौजे दस्ताने

वहीं पास मैं एक पेड़ पर
बैठे बन्दर मामा
कूदे झपटे उठा ले गए
फटा एक पजामा

बूढी अम्मा ताप रही हैं
जला जला कर आग
गाते गाते मगन हो रहीं
तरह तरह के राग

खेस लपटे टोपा बांधे
बाबा टहल रहे हैं
धीरे धीरे होंठ हिलाकर
माला फेर रहे हैं

मूंगफली खा रहा विनय है
विवेक खा रहा काजू
खड़ा अंकुर खा रहा पिस्ता
किशमिश खाता राजू

गजक रेवडी खाते भइया
भाभी खातीं हलुआ
गरम जलेबी खाकर पीता
दूध केसरी कलुआ

क्यों दोस्तों कैसी लगी कविता |
नमस्कार |




8 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

welcome to blogosphere

आदित्य आफ़ताब "इश्क़" aditya aaftab 'ishq' ने कहा…

swagat hain bandhu ! word verification hata lo plz ,yah aadmi ko tippni karne mein vevazah pareshan kartee hain ...............

Kamlesh Sharma ने कहा…

बधाई ,
बड़े एडवांस है आप तो बंधु,
सर्दी से पहले ही इसकी अनूभू‍ति, लगे रहो, ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है आपका ।
ये वेरीफीकेशन को हटाओ यार, बड़ा तकलीफदेह है यह तो ।

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

कविता लाजवाब है। चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. सतत लेखन के लिए शुभकामनाएं.मेरे ब्लोग पर भी पधारें।

Chandan Kumar Jha ने कहा…

अरे बहुत हीं अच्छी बन पड़ी है यह कविता । बहुत सुन्दर ।

चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

गुलमोहर का फूल

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन रचना ।

बहुत ही बेहतरीन रचना ।

http://sanjaybhaskar.blogspot.com

संजय भास्‍कर ने कहा…

बड़े एडवांस है आप तो बंधु,
सर्दी से पहले ही इसकी अनूभू‍ति, लगे रहो,

बहुत ही बेहतरीन रचना ।

http://sanjaybhaskar.blogspot.com

गंगू तेली ने कहा…

चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है. मेरी शुभकामनाएं.मेरे ब्लॉग पर भी पधारें।
http://gangu-teli.blogspot.com