गुरुवार, 24 सितंबर 2009

धन्यवाद

नमस्कार दोस्तों !मुझे आप सभी पाठकों की टिप्पीडियान मिल रही हैं |मैं भी अपने ब्लॉग से वर्ड वेरिफिकेशन को हटाना चाहता हूँ ,लेकिन मैं कर नहीं पा रहा हूँ |अगर कोई पाठक मेरी मदद कर दें , तो मैं उनका एहसानमंद रहूँगा| अच्छा तो मैं एक कविता पेश करना चाहूंगा |


जीवन कभी सूना ना हो
कुछ मैं कहूं ,कुछ तुम कहो |


तुमने मुझे अपना लिया
यह तो बड़ा अच्छा किया
जिस सत्य से मैं दूर था
वह पास तुमने ला दिया


अब ज़िन्दगी की धार में
कुछ मैं बहूँ ,कुछ तुम बहो |


जिसका हृदय सुंदर नहीं
मेरे लिए पत्थर वही
मुझको नयी गति चाहिए
जैसे मिले ,वैसे सही


मेरी प्रगति की साँस मैं
कुछ मैं रहूँ ,कुछ तुम रहो |


मुझको बड़ा सा काम दो
चाहो कुछ आराम दो
लेकिन जहाँ थक कर गिरूँ
मुझको वहीं तुम थाम लो


गिरते हुए इंसान को
कुछ मैं गहूं ,कुछ तुम गहो |


संसार मेरा मीत है
सौंदर्य मेरा गीत है
मैंने कभी समझा नहीं
क्या हार है, क्या जीत है


सुख दुःख तुम्हें जो भी मिलें
कुछ मैं सहूँ ,कुछ तुम सहो |


कैसी लगी कविता दोस्तों ,नमस्कार |


5 टिप्‍पणियां:

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

कविता में सच्‍ची सच्‍चाई
और सुंदर आशावाद।

ghughutibasuti ने कहा…

बढ़िया है।
घुघूती बासूती

सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) ने कहा…

अपने ब्लॉग को साइन इन करें, फिर सेटिंग में क्लिक करें, सेटिंग खुलने के बाद नीचे की ओर ध्यान से देखते हुए जाएँ आपको वर्ड वेरिफिकेशन लिखा मिलेगा वहां शो आप्शन में क्लिक किया हुआ होगा, आप जहाँ no लिखा है वहां क्लिक करें और नीचे जाकर सेटिंग को सेव कर दें अब कोई टिप्पणी करेगा तो वर्ड नहीं आएगा ! आपकी कविता अच्छी है !

Udan Tashtari ने कहा…

सुरेश शर्मा जी न रास्ता सुझा ही दिया है.

कविता अच्छी है.

गीतिका वेदिका ने कहा…

चलिए अच्छा हुआ शर्मा जी का सहयोग मिला|
शुभकामनायें|
सुंदर शब्द!